बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय bawasir ke lakshan (Best 8 Tips)

बबासीर को अंग्रेजी में पाइल्स भी कहते है। बबासीर एक भयानक बीमारी और तकलीफदायक भी होती है। यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को कब हो जाती है, पता ही नहीं चलता। एक अध्ययन के अनुसार, भारत में अनुमानित 4,07,23,288 लोग बवासीर या पाइल्स से पीड़ित हैं। बबासीर की बीमारी आज के समय में आम बीमारी का रूप लेती जा रही है। इसलिए bawasir ke lakshan को पहचानना बहुत जरूरी है।

क्योकि आज कल लोग अपने स्वस्थ्य पर ध्यान नहीं देते है और छोटी छोटी बीमारी को इग्नोर करते रहते है फिर वही बिमारी बड़ी हो जाती है और बाद में कई तकलीफो से भी गुजरना पड़ता है। हम आपको इस आलेख में बबासीर होने के कारण, उसके उपचार और बबासीर से सम्बंधित कई सारी बाते बताएंगे जो आपको जाननी बहुत जरुरी है ताकि कोई भी व्यक्ति समय से पहले अपना उपचार करा ले और इस भयानक बीमारी से बच जाए।

bawasir ke lakshan
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बवासीर क्या होता है और क्यों होता है:

बबासीर का सबसे बड़ा कारण हैकब्ज अगर आपको बहुत ज्यादा कब्ज की समस्या रहती है और मल त्याग करने में परेशानी होती है तो बबासीर होने का सबसे बड़ा कारण यही होता है। जब आपके गुदा (Anus) में अंदर और बाहर सूजन आ जाती है और गुदा में मस्से बन जाते है तो इस बीमारी को बबासीर कहा जाता है। अगर आप मल त्याग करते वक्त जोर लगाते है तो मस्से कभी अन्दर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं।कभी कभी तो मल त्याग करते वक्त ब्लीडिंग की समस्या हो जाती है और खुजली एवं दर्द भी होना शुरू हो जाता है। जिसकी वजह से मरीज की हालत गंभीर भी हो जाती है।

बबासीर होने के कारण:

बवासीर होने के कई कारण हो जो निम्नलिखित है

एक ही जगह पर ज्यादा देर तक बैठना:

अगर आप ऑफिस में या कम्प्यूटर पर बहुत देर तक एक ही जगह बैठकर लगातार कम करते रहते है तो आपकी नसों में दबाव बनता है जो बवासीर के होने का मुख्य कारण होता है। आपको यह पता होना चाहिए कि घंटों तक एक ही पोजिशन में बैठे रहने से आपको आगे चलकर और भी कई गंभीर बीमारियां गले लगा सकती हैं। 

अल्पाहार:

जो लोग अपने खानेपीने का ध्यान नहीं रखते है या अधिक तला हुआ खाते है तो उनको पाचन तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं जो बवासीर के होने का कारण बनती हैं।

अधिक वजन:

जिन लोगो का वजन अधिक होता है उनके शरीर के तंत्र के दबाव में वृद्धि होती है तथा गुदा और मलाशय की नसों पर दबाव पड़ता है, जो बवासीर का मुख्य कारण हो सकता है। अगर बढ़ते वजन की समस्या पर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो आगे चलकर अनेक स्वस्थ्य समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है

गर्भावस्था:

गर्भावस्था के दौरान यूट्रस का आकार बढ़ जाता है और रक्त संचार में वृद्धि होने लगती है।इसके के दौरान नसों में दबाव बनता और सूजन आ जाती है जो बवासीर के होने का कारण बनती है।

जीवन शैली:

जो लोग अपने स्वस्थ्य पर कम ध्यान देते है और अधिक शराब और धूम्रपान करते है, एक्सरसाइज न करना और जिनका ख़राब खानपान सही नहीं होता, उनमे बवासीर के होने का कारण हो सकता है।

उम्र:

बबासीर होने का सबसे बड़ा कारण उम्र का बढ़ना होता है। जब उम्र बढ़ने लगती है तो दिमाग की कोशिकाएं सूखने लगती हैं, जिससे अनेक बीमारिया शरीर में प्रवेश करने लगती है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर की एक्टिविटी कम हो जाती है और नसों में कमजोरी होती है जो बवासीर के होने कारण बनती है।

बवासीर के लक्षण ( bawasir ke lakshan ) :

अगर किसी भी व्यक्ति के अंदर बीमारी प्रवेश करती है तो उसके लक्षण आने शुरू हो जाते है, इसी प्रकार बबासीर के लक्षण भी निम्नलिखित है

गुदा के आसपास कठोर गांठ:

बबासीर की समस्या होने पर सबसे पहले गुदा के आसपास कठोर गांठ बन जाती है और गुदा में जलन व खुजली होना शुरू हो जाती है।

शौच के बाद भी पेट साफ ना होना:

अगर आपका पेट शौच करने के बाद भी अच्छी तरह से साफ़ नहीं होता तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है जो आगे चलकर बबासीर होने का कारण बनती है।

शौच के वक्त जलन के साथ खून का आना:

मल करते वक्त अगर खून आये तो एक एक बहुत ही गंभीर समस्या है। मल में खून आना बबासीर, कोलोन कैंसर और आँतों में सूजन के कारण होता है।

शौच के वक्त अत्यधिक पीड़ा होना:

जब पाचन तंत्र ठीक से काम न करे और मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़े और अहसनीय दर्द हो तो आपको बबासीर की समस्या हो सकती है।

बारबार मल त्यागने की इच्छा होना, लेकिन त्यागते समय मल निकलना:

अगर मल त्याग करते समय ज्यादा जोर लगाते है तो गुदा या मलाशय की नसों पर अत्यधिक दबाब पड़ता है, जिससे बबासीर हो जाता है।

इसके आलावा और भी सामान्य लक्षण हो सकते है जो निम्नलिखित है

  • गुदा में सूजन और दर्द।
  • बैठने और उठने में तकलीफ होना।
  • पेट में असहनीय दर्द।
  • बहुत दिनों तक कब्ज का होना।
  • पेट काअच्छी तरह से साफ़ ना होना।
  • मल त्याग के दौरान रक्तस्त्राव।
  • शौच करते समय बैठने में तकलीफ होना।
  • अधूरे मल त्यागने के बाद पेट में बेचैनी होना।

बबासीर में क्या खाये ( bavasir me kya khaaye) :

1. शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए हर व्यक्ति को कम से कम दो लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर भी हाइड्रेटेड रहता है और मल कठोर नहीं होता।

2. साबुत अन्नाज खाये। साबुत अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और फाइबर बबासीर के इलाज में फायदेमंद होता है।

3. हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करे क्योकि इनमे आयरन की मात्रा अधिक होती है। जिससे खूनी बबासीर होने पर काफी फायदा मिलता है।

4. फाइबर युक्त फलो का सेवन जरूर करे। ऐसे फल बबासीर की समस्या में काफी मददगार होते है।   

5. दूध उत्पाद भी बवासीर के मरीजों के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन डी की मात्रा अधिक होती है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।

बबासीर में क्या ना खाये ( bavasir me kya na khaaye) :

1. मसालेदार खाने से बिलकुल दूर रहे। यह पेट में एसिड पैदा कर सकता है और अल्सर की दिक्कत बढ़ा सकता है।इसकी वजह से शरीर को दो बीमारियों से लड़ना पड़ता है जिससे बबासीर की समस्या और बढ़ सकती है।

2. तले हुए खाने से बिलकुल दूर रहे। जैसेफ्रेंच फ्राइज, तले हुए मोमोज, समोसा, कचौरी और फास्ट फूड्स आदि। इनको खाने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और कब्ज की समस्या भी हो सकती है।

3.एल्कोहॉल और कॉफी पीने से बबासीर की समस्या बढ़ सकती है, इनसे दूर ही रहे।

4. बबासीर होने पर सफेद चीनी का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

5. सफेद रोटी या मैदा आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें। मैदा को सफेद जहर भी कहा जाता है क्योकि मैदे में 80% फाइबर खत्म हो जाता है।

बवासीर का रामबाण घरेलू नुस्खे:

बबासीर का इलाज उसकी अवस्था पर निर्भर करता है। बबासीर का आयुर्वेदिक उपचार निम्नलिखित है

अंजीर:

अंजीर में अच्छी मात्रा में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे प्रोटीन, जिंक, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर। अंजीर के रोजाना सेवन कई बीमारियों से लड़ने में मदद करती है। तीन छोटी अंजीर एक गिलास पानी में भिगों दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करे, और इस पानी को फेंके नहीं इसे भी पी जाए।

त्रिफला चूर्ण:

त्रिफला एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक रासायनिक फ़ार्मुला है जो निम्न जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनता है। त्रिफला चूर्ण का इस्तेमाल करने से मल नरम हो जाता है और गुदे से आसानी से बाहर आ जाता है और आपको जलन या सूजन भी नहीं होती।

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इसबगोल की भूसी:

बवासीर की सबसे बड़ी वजह है कब्ज। इसबगोल की भूसी में घुलनशील फाइबर होता है और कब्ज के लिए बहुत फायदेमंद होता है।  इसबगोल कब्ज ही नहीं हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने में भी मदद करता है।

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सेब का सिरका:

सेब के सिरके का उपयोग करने से एसिडिटी, जलन, गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। लेकिन ऐसा नहीं हैं की सेब के सिरके का इस्तेमाल बबासीर जैसी बीमारी में राहत देता है। लेकिन इसमें पायी जाने वाली एंटीबैक्टेरियल प्रापर्टी बबासीर में होने वाली सूजन, दर्द और इन्फेक्शन को कम करती है। आप सेब के सिरके में रुई भिगोकर गुदा पर लगाने से रहत मिलती है। 

नारियल का उपयोग:

नारियल में पोटैशियम, कैल्शियम, फाइबर व मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। लेकिन बबासीर के इलाज में नारियल का छिलका बहुत काम आता है। नारियल के छिलके ( जटाओं ) को जलाकर उसकी राख या पाउडर बना लें। फिर सुबह खाली पेट इसे ताजे मट्ठे या छाछ में मिलाकर पिएं।इसे पीने से बबासीर में फायदा मिलता है।

एलोवेरा जेल:

बबासीर के इलाज में एलोवेरा का अच्छा उपयोग हो सकता है। एलोवेरा में एंटीवायरल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते है जो खाने को पचाने में मदद करते है जिससे कब्ज की समस्या नहीं होती है। आप एलोवेरा का गूदे को निकल कर बहार निकले हुए मस्सो में लगाए इससे खुजली शांत होती है और जलन भी कम होती है।

जैतून के तेल:

जैतून के तेल में कई एंटीऑक्सीडेंट और कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे सूजन को कम किया जा सकता है।  जैतून के तेल को बादी बवासीर के मस्सों पर लगाएं। इससे रक्तवाहिकाओं में आई सूजन को आराम मिलता है।

बादाम का तेल:

बादाम का तेल स्किन की समस्याओं का बेहतरीन उपचार हैं। बादाम के तेल में रुई को डुबोएं, और पाइल्स के मस्सों पर लगाएं। यह सूजन और जलन को कम करता है। बादाम का तेल बादाम खाने की तुलना में कहीं ज्‍यादा फायदेमंद होता है।

इसके साथ साथ आपको अपने खाने में फाइबर युक्त फलो और सब्जियों का सेवन करना है और पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पीना है।ऐसा करने से कब्ज की समस्या खत्म होती है और बबासीर के बीमारी में आराम मिलता है। लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखियेअगर ऊपर दिए हुए उपाय से आराम नहीं मिलता है तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करे जो आपकी बीमारी के हिसाब से आपका इलाज करेंगे और आपकी बीमारी को ठीक करेंगे।

बवासीर कितने प्रकार की होती है?

बवासीर दो प्रकार की होती है पहली खूनी बबासीर दूसरी बादी बबासीर

1. खूनी बवासीर:

अगर हम बहुत देर तक लगातार बैठे रहते है तो नीचे की रक्त वाहिनियों पर जोर पड़ता है।यह बीमारी मलाशय और गुदा हिस्से को प्रभावित करती है। खूनी बबासीर होने पर किसी प्रकार का दर्द या तकलीफ नहीं होती बस मल त्याग करते समय गुदा से खून निकलता है। इसमें मस्सा अंदर की तरफ होता है जो बाद में बाहर आने लगता है। अगर इस तरह की बबासीर है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाना चाहिये और उपचार कराना चाहिए।

2. बादी बवासीर:

अगर आपका पेट अच्छे से साफ़ नहीं होता तो कब्ज हो जाती है और यही कब्ज बाद में बबासीर की समस्या पैदा करती है। बादी बवासीर में मस्से बाहर की तरफ होते है और इन मस्सो से खून नहीं निकलता। इन मस्सो में बार बार खुजली व जलन की समस्या होती है।बादी बवासीर के मस्सो में खून जमा हो जाता है और इन मस्सो में सूजन हो जाती है। इसमें रोगी को मल त्याग करते समय असहनीय पीड़ा भी हो सकती है।

bawasir image:

bawasir ke lakshan
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बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं:

अगर किसी को बबासीर की बीमारी है तो उसको अपने खाने में ख़ास सावधानी बरतनी चाहिए। चावक खाने से पहले इस बात का ध्यान रखे की अधिक चावल खाने से पेट में भारीपन और कब्ज की समस्या भी हो सकती है। अपने भोजन में दलिया, और फाइबर युक्त फल और सब्जिया शामिल करे।

बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं:

पाईल्स के रोगी हलके गर्म दूध का सेवन कर सकते है। अगर किसी रोगी को दूध पीने से दिक्कत होती है या कब्ज हो जाती है तो वह दूध का सेवन ना करे। इससे कब्ज की समस्या और बढ़ सकती है। लेकिन आप दही का सेवन कर सकते है क्योकि दही में अच्छे बैक्टीरिया होते है जो कब्ज की समस्या को दूर करते है।

बवासीर में अंडा खाना चाहिए या नहीं:

बबासीर के रोगियों के लिए अंडा एक स्वस्थ आहार है। अंडे में प्रोटीन और विटामिन डी आदि पोषक तत्व पाए जाते है जो शरीर के लिए बहुत जरूरी होते है। लेकिन अंडे को भूनकर या फ्राई करके नहीं खाना चाहिए। लेकिन यह भी ध्यान रखिये अधिक मात्रा में अंडे का सेवन ना करे।

बवासीर में दूध और नींबू का उपयोग:

बबासीर के समस्या में दूध और नींबू निजात दिलाने में काफी कारगर है। सुबह खाली पेट ठन्डे दूध के गिलास को अपने मुंह के पास ले जाएं, दूध में नींबू निचोड़ें और तुरंत दूध पी लें।

बवासीर में गुनगुना पानी पीने के क्या फायदे है:

बबासीर में गुनगुना पानी पीना फायदेमंद हो सकता है। क्योकि इससे कब्ज में रहत मिलेगी। अगर कब्ज नहीं होगा तो मल त्यागने में परेशानी नहीं होगी जिससे मल त्यागते वक्त दर्द भी कम होगा। बवासीर के रोगी को बहुत ज्यादा गर्म या गुनगुना पानी पीने से भी बचना चाहिए क्योंकि यह शरीर से पानी की मात्रा कम कर सकता है।

बबासीर को कैसे खत्म करे bawasir ko kaise khatam kare:

  • बबासीर को ख़तम करने के लिए सबसे पहले अपने आहार को सही करे। क्योकि अगर आपका आहार सही होगा तो आपका पेट सही रहेगा और अगर पेट सही रहेगा तो आपका पाचन भी अच्छा होगा। मल त्याग करने में भी कोई परेशानी नहीं होगी। इसलिए आपको अपने भोजन में फाइबरयुक्त फलो और सब्जिओ का सेवन जरूर करना चाहिए।
  • भरपूर मात्रा में पानी पिए कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। ताकि आपका मल कठोर न हो। अगर आपका मल कठोर होगा तो बबासीर के मस्सो से खून भी निकल सकता है। पानी पीने से शरीर का तापमान भी नियंत्रित होता है।
  • आपको रोजाना योगासन करना चाहिए। कुछ आसान जैसे- पवनमुक्तासन, बालासन, सर्वांगासन, मालासन, सर्वांगासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन आदि। इससे आपको अपने सरीर में नई ऊर्जा का भी एहसास होगा।
  • अगर बबासीर की समस्या ज्यादा गंभीर बन गई है तो आपको सबसे पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। क्योकि बबासीर का समय पर इलाज होना बहुत जरूरी है। ताकि यह गंभीर रूप ना ले सके। और आप भी समय रहते जल्दी ठीक हो जाये।

बवासीर का इलाज सर्जरी में कितना खर्च आता है:

बवासीर हमारे गुदा के आसपास की नसों में सूजन एवं बढ़त से होने वाली एक बीमारी है। जिनका अच्छी तरह से पेट साफ़ नहीं होता हैं तो उन्हें कब्ज की समस्या हो जाती है। और यही कब्ज अगर बहुत दिनो तक रहता है तो बबासीर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बनती है।अगर समय रहते इस पर ध्यान न दे तो सर्जरी कराने तक नौबत आ जाती है।

बबासीर का इलाज रोगी के बीमारी के अनुसार किया जाता है। बबासीर की सर्जरी इन तरीको से की जाती है

लेजर सर्जरी

लेजर सर्जरी में लेजर किरणों के मदद से बबासीर के मस्से को खतम किया जाता है। अन्य सर्जरी की तुलना में लेजर सर्जरी करने के दौरान गुदा क्षेत्र से कोई ब्लीडिंग नहीं होती है। यह सर्जरी अन्य सर्जरी की तुलना में अधिक सुरक्षित मानी जाती है। लेजर सर्जरी में ऑपरेशन की लागत 30,000 से 50,000 रुपये के बीच हो सकती है।

ओपन सर्जरी

ओपन सर्जरी में सर्जिकल नाइफ एवं अन्य उपकरणों का उपयोग करके मस्सों को गुदा मार्ग से अलग करते हैं। इस सर्जरी के दौरान ब्लीडिंग भी होती है। ओपन सर्जरी करवाने के बाद रोगी को रिकवर (ठीक) होने में काफी समय भी लग सकता है। इस सर्जरी के बाद इन्फेक्शन होने की सम्भावना भी रहती है। ओपन सर्जरी में ऑपरेशन की लागत 20,000 से 30,000 रुपये के बीच हो सकती है।

स्टेपलर सर्जरी

यह सर्जरी उन रोगियों के लिए अनुशंसित की जाती है जिनके असामान्य रूप से बड़े हो गए हैं। स्टेपलर सर्जरी के दौरान एक गोलाकार एनल डिलेटर और स्टेपलर का उपयोग किया जाता है। जिससे अंदर फंसे बवासीर के मस्से को काटने में मदद करता है। स्टेपलर सर्जरी में ऑपरेशन की लागत 40,000 से 60,000 रुपये के बीच हो सकती है।

बबासीर के इलाज की लागत रोगी की बीमारी, जगह और अस्पताल के अनुसार अलगअलग हो सकती है। इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए। 

बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय:

आलू से मसाज: आलू के फ्राइ चिप्स को मस्सों पर लगाए। इससे मस्सो को सुखाया जा सकता है। इसमें मौजूद तानिका मस्सों को शुष्क करने में मदद करता है।

अमरूद: बबासीर में गर्म चीजों का परहेज रहता है और अमरुद पेट को ठंडा रखता है। अमरूद मस्सों को सुखाने में मदद करता है।

तुलसी: हमारे आसपास मौजूद पेड़ पौधे कई जड़ी बूटियों का काम करते हैं। उनमे एक चलती का पढ़ा भी है। तुलसी के पत्तों को ताजे पानी में उबालकर चाय की तरह पीने से मस्सों के सूखने में मदद मिलती है।

मूली का रस: मूली में वाष्पशील तेल पाया जाता है, जो एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है जिससे मस्सो में होने वाली सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है।

प्याज का रस: प्याज में जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुण होते हैं। रोजाना दो बार 30 ग्राम प्याज को पानी में अच्छी तरह पीसकर चीनी के साथ बवासीर के मरीजों को सेवन करना चाहिए।

लहसुन: लहसुन बवासीर रोगियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें पर्याप्त रूप से फाइबर मौजूद होता है, जो कब्ज की परेशानी को दूर करता है।

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बबासीर में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

QUES: बबासीर क्यों होता है?

अगर अच्छे से पेट साफ़ नहीं होता है तो कब्ज की बीमारी हो जाती है। अगर यही कब्ज की बीमारी बहुत दिनों तक चलती रहती है तो बबासीर का कारण बनती है।

QUES: खूनी बवासीर के नुकसान क्या है?

बबासीर आमतौर पर कब्ज से होने वाली बीमारी है। खूनी बबासीर होने पर गुदा में दर्द होता है और रक्तस्त्राव भी ज्यादा होता है। यह उन लोगो को ज्यादा प्रभावित करता है जो लोग समय पर बबासीर का इलाज नहीं कराते है।

QUES: कोलगेट से बवासीर का इलाज क्या है?

कोलगेट जैसी टूथपेस्ट से बवासीर का इलाज नहीं होता है। बेहतर हैं की आप ऐसे चक्करो में ना पड़े और अपने डॉक्टर से संपर्क करे और समय पर बबासीर का इलाज कराये। नहीं तो यह गंभीर समस्या का रूप ले लेती है।

QUES: खूनी बवासीर में क्या परहेज करना चाहिए?

अगर आप बबासीर के मरीज है तो आपको तला भुना और मसालेदार खाना बिलकुल भी नहीं खाना चाहिए। अपने भोजन में फाइबर की मात्रा को बढ़ाना छाइये और काम इ काम 8-10 गिलास पानी का सेवन कारण चाहिए।

QUES: दही से बवासीर का इलाज क्या है?

दही में अच्छे बैक्टीरिया मौजूद होते है। अगर आप सही मात्रा में दही का सेवन करते है तो कब्ज की समस्या दूर होती है और बबासीर में राहत मिलती हैं।

QUES: बवासीर में मीठा खाना चाहिए या नहीं?

बबासीर की समस्या होने पर बिलकुल भी मीठे का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे बबासीर की समस्या बढ़ सकती है।

QUES: बवासीर में तुरंत आराम के लिए क्या करें?

बवासीर के दर्द में आप बवासीर क्रीम का उपयोग कर सकते हैं। इससे दर्द और सूजन कम होती है। लेकिन अपने डॉक्टर से जल्दी से जल्दी संपर्क करे ताकि ये बीमारी ज्यादा ना बढ़े और जल्दी से खत्म हो सके।

QUES: बादी बवासीर का इलाज क्या है?

डॉक्टर सलाह देते हैं कि दर्दनाक बवासीर वाले लोगों को 15 मिनट के लिए गर्म पानी में बैठना चाहिए। एक टब में हल्का गर्म पानी भरे और इसमें बैठ जाए।

QUES: क्या खाने से बवासीर ठीक हो जाता है?

अच्छी मात्रा में पानी पिए और अपने खाने फाइबरयुक्त भोजन को शामिल करे। छाछ का सेवन भी बवासीर के लक्षणों को कम करता है।

QUES: क्या बिना सर्जरी के बवासीर ठीक हो सकता है?

सर्जरी के बिना भी बबासीर का इलाज निश्चित रूप से संभव है। यह निश्चित करता है की बबासीर कितना गंभीर है या नहीं। लेकिन अगर ज्यादा गंभीर समस्या है तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।

QUES: बवासीर को सर्जरी की जरूरत कब पड़ती है?

अगर बबासीर से व्यक्ति को ज्यादा ही मुश्किल हो रही है तो डॉक्टर ऑपरेशन कराने की सलाह देते है। इसके लिए आमतौर पर एक सामान्य या स्थानीय संवेदनाहारी की आवश्यकता होती है। इसके बाद आपको कुछ दिनों के लिए अस्पताल में रहना होगा और कुछ समय के लिए काम से भी दूर रहना होगा।

QUES: बवासीर के लिए सबसे अच्छी सर्जरी कौन सी है?

बवासीर के लिए सबसे अच्छी स्टेपलर सर्जरी मानी जाती है। यह बवासीर की ओपन सर्जरी से बेहतर होती है। इसके अलावा डॉक्टर ही आपके रोग के अनुसार तय करेंगे की आपके लिए कौन सी सर्जरी बेहतर है।

Disclaimer: लेख में दिए गए सुझाव और टिप्स सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले।

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